Tuesday, December 11, 2018

वो तुम ही थी

वो दिन भर एक दूसरे को सोचना
वो घंटो कुछ भी बातें करना
वो बचपन के नखरे जवानी में करना
वो आँखों से मुझे बेहोश करना
वो तुम ही थी या कोई और,
पता नहीं।

वो गुलाबी कुर्ता और उसपर सफेद दुप्पटा
वो माथे पे बड़ी गोल बिंदी और उसपर लाल जूती
वो लंबे बिखरे बाल और उसपर लगा छोटा सा क्लच
वो होठों पे हल्की सी लाली और उसपर कानों की बाली
वो तुम ही थी या कोई और,
पता नहीं।

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