वो दिन भर एक दूसरे को सोचना
वो घंटो कुछ भी बातें करना
वो बचपन के नखरे जवानी में करना
वो आँखों से मुझे बेहोश करना
वो तुम ही थी या कोई और,
पता नहीं।
वो गुलाबी कुर्ता और उसपर सफेद दुप्पटा
वो माथे पे बड़ी गोल बिंदी और उसपर लाल जूती
वो लंबे बिखरे बाल और उसपर लगा छोटा सा क्लच
वो होठों पे हल्की सी लाली और उसपर कानों की बाली
वो तुम ही थी या कोई और,
पता नहीं।
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