Wednesday, December 4, 2019

कुछ करो सरकार

ये देश किसके लिए नया हो रहा है?
किसके लिए ये सड़के, ये हवाई जहाज, ये जलयान बनाए जा रहे हैं?
किसके लिए कभी ना सोने वाले स्मार्ट सिटी बसाए जा रहे हैं?
किसका भाग्योदय किया जा रहा है, सरकार?
हवस का नंगा नाच कर रहे पुरुषों के लिए?
या फिर उनको सह देते उनके घरवालों के लिए?
या फिर उन सुरक्षा-कर्मियों को जो लड़कियों को जीना सिखा रहे है?
या फिर खुद के लिए, सरकार?

शायद आपको ही इन सुविधाओं की बेहद जरूरत पड़ेगी सरकार, क्योंकि
आज जो आप मूकदर्शक बन तमाशा देख रहे हैं ना,
अपनी माँ,बहन,बेटियों को सुरक्षित रखने के काम आएगा
क्योंकि भगवान ना करे पर क्या पता
किसी रोज आपकी भी बेटी की स्कूटी खराब हो जाए
और वो 100 नम्बर ना मिला पाए?
क्योंकि भगवान ना करे पर क्या पता
आपकी बेटी रात का शो देखकर वापस आ रही हो
और चार मनचले आपकी बेटी को अगवा कर ले?
क्योंकि भगवान ना करे पर क्या पता
आपके बड़े भाई ही आपकी बेटी को चॉकलेट खिलाने ले जाए और....

आप समझ तो रहे है ना सरकार?
या और बताऊ?
खैर, हटाइए, आपको आदत नहीं होगी सुनने की, पर ध्यान रखिएगा सरकार
क्योंकि भगवान ना करे पर क्या पता
अगला नम्बर आपकी बेटी का ही हो?

तो इससे पहले भगवान कुछ कर दे,
कुछ करो सरकार,
लड़कियों को प्रवचन देना छोड़
लड़कों को भी कुछ बता दो।

जो लड़के कपड़ो की साइज दूर से ही बता देते हैं
उनको दर्जी बना के जेलखाने में भेजो, 
बेचारे कैदियों के बहुत काम आएगा।

जो लड़के सीटियाँ बजाने में उस्ताद हैं ना,
उनको आर्मी की परेड में भेज दो,
पड़ोसी देश कभी सो ही ना पाएगा।

कुछ भी करो, पर ये कुकृत्य बन्द करवाओ सरकार
लड़कों के माँ बाप को समझाओ
कि
लड़कियों को खूंटे से बांधने के बजाए
लड़को को रस्से से बांधो
क्योंकि पागल सांड अब तो हल जोतने के भी काम ना आते।

जवानी से लेकर आजतक 
हर रोज मैं खुद में गिरता जा रहा हूँ
हर दिन मैं घुटता हूँ
कभी कविता लिख देता हूँ
कभी कहानी
कभी विश्की पी लेता हूँ
कभी जॉइंट
पर खबरें आना बंद ही नहीं होती

निर्भया से पहले भी,
और प्रियंका के बाद भी।

उस 2 साल की बच्ची से पहले भी,
और 80 साल की बुढिया के बाद भी।

सदमे में हो जाता हूं  कि
इतने मानसिक पीड़ित मर्द बाहर खुले क्यों घूम रहे हैं?
कुछ करो सरकार?
क्योंकि भगवान ना करे पर क्या पता
अगला नम्बर आपकी बेटी का ही हो?